हिमालयी राज्यों में पर्यावरण नियमों का सबसे ज्यादा उल्लंघन उत्तराखंड में हुआ है। इस मामले में वहीं देश भर में राज्य का छठवां स्थान है। NCRB ने 2021 में देश भर के राज्यों में हुए अपराधों की रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार सात अलग अलग कैटेगरी के बीच उत्तराखंड में पर्यावरण संबंधी विभिन्न अधिनियमों में 912 मामले दर्ज किए गए।जबकि इसके बाद हिमाचल 163 विभिन्न अपराध के साथ दूसरे नंबर पर है। तो 85 मामलों के साथ जम्मू कश्मीर तीसरे नंबर पर आता है।
बता दे की अन्य राज्यों में ऐसे मामले बेहद कम हैं। देश भर की बात करें तो सभी श्रेणियों के कुल मामलों में यूपी 1573 मामलों के साथ चौथे स्थान पर है। जबकि बिहार में कुल 56 जबकी दिल्ली में 66 और झारखंड में 272 मामले पर्यावरणीय अपराधों के दर्ज हुए। तो रिपोर्ट के अनुसार पर्यावरणीय अपराधों को सात अलग अलग श्रेणियों में बांटा गया है। जिसमें फारेस्ट कंजर्वेशन एक्ट, वाइल्ड लाइफ प्रोक्टक्शन एक्ट, इन्वायरमेंटर प्रोटेक्शन एक्ट, एयर एंड वाटर पाल्यूशन कंट्रोल एक्ट, सिगरेट व एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट एक्ट, नॉइस पाल्यूशन एक्ट और एनजीटी एक्ट शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में इन सात कानूनों के तहत सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट एक्ट के सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए। इनकी संख्या 850 है। जबकि यूपी में महज 14 और देश में सबसे ज्यादा उल्लंघन के 46433 मामले तमिलनाडु में आए। तो उत्तराखंड में एफसी एक्ट के 53 मामले आए, तो नौ मामले वाइल्ड लाइफ एक्ट के आए।
पर्यावरणीय अपराध क्या है
पर्यावरण को सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचता है। इन अवैध गतिविधियों में पर्यावरण, वन्य जीवन, जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान शामिल है। इसी को आधार मानकर आंकलन किया जाता है।