उत्तराखंड के आठ जिलों में 122 करोड़ रुपये की लागत से बनेंगी 32 पार्किंग
उत्तराखंड के आठ जिलों में 122 करोड़ रुपये की लागत से 32 पार्किंग बनेंगी। इसके लिए पहली किस्त के तौर पर 77 करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं। इन पार्किंग पर 7,190 वाहन पार्क हो सकेंगे। शहरी आवास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया, इस बार पार्किंग के लिए राज्य के बजट में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। बताया कि कैम्प्टी, गंगोत्री और लक्ष्मणझूला में राज्य की पहली तीन पार्किंग बनने जा रही हैं, जिनकी डीपीआर नेशनल हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनएचआईडीसीएल) तैयार कर रहा है।
विधानसभा स्थित कक्ष में मीडिया से बातचीत में कैबिनेट मंत्री ने बताया, इन 32 पार्किंग में से 18 मल्टी लेवल पार्किंग हैं और 14 सरफेस पार्किंग हैं। दो साल में इन्हें तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, 11 पार्किंग के निर्माण की डीपीआर को 3.45 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है।
इनमें चमोली में एक, पौड़ी में एक, पिथौरागढ़ में दो, टिहरी में एक, उत्तरकाशी में तीन, रुद्रप्रयाग में एक, बागेश्वर में दो हैं। प्रदेश में तीन जगहों कैम्प्टी, गंगोत्री के गंगनानी और ऋषिकेश के लक्ष्मणझूला में टनल पार्किंग बनाई जा रही हैं। कैम्प्टी की डीपीआर के लिए 42 लाख, गंगनानी के लिए 77 लाख और लक्ष्मणझूला के लिए 30 लाख जारी किए गए हैं। टनल पार्किंग का निर्माण एनएचआईडीसीएल करेगा।
हरिद्वार में चारधाम यात्रा और कुंभ के मद्देनजर वाहन पार्किंग की सख्त जरूरत है। इस हिसाब से पांच मल्टी स्टोरी पार्किंग बनाने का प्रस्ताव एनएचआईडीसीएल ने दिया है। प्रस्ताव अभी शासन स्तर पर है, जिस पर कैबिनेट में मुहर लगेगी। वहीं, सरकार ने यूजेवीएनएल, आरवीएनएल और टीएचडीसी को भी पार्किंग की संभावित जगहों की तलाश करने के निर्देश दिए हैं।
जिला पार्किंग की संख्या वाहन क्षमता
अल्मोड़ा 09 2108
चमोली 01 65
चंपावत 04 223
पौड़ी 05 226
पिथौरागढ़ 03 62
टिहरी 01 40
उत्तरकाशी 05 571
नैनीताल 04 600
पर्वतीय जिलों में तो आसानी से पार्किंग की जगह मिल गई है, लेकिन देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर में पार्किंग की जमीन का संकट है। एक साल में सरकार ने आठ जिलों में 32 पार्किंग तो चुन ली, लेकिन मैदानी जिलों में अभी तक जिला प्रशासन ने जमीन मुहैया नहीं कराई है। इससे सरकार यहां प्राइवेट पार्किंग की नीति भी लाई है, जिसमें निजी भूमि पर पार्किंग बनाने वाले को बिजली बिल में एक रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी का भी प्रावधान किया गया है।