
राजकीय मेडिकल कॉलेज दून के बाद प्रदेश सरकार जल्द ही तीन और मेडिकल कॉलेजों में भी कोविड संक्रमित सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग लैब स्थापित करेगी।
इसके लिए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल दिल्ली से पंजीकरण की अनुमति मांगी है। इसके अलावा बूस्टर डोज लगाने के लिए केंद्र सरकार से तीन लाख कोविड वैक्सीन मांगी गई हैं।
शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों की वर्चुअल बैठक हुई, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने राज्य की स्वास्थ्य तैयारियों की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में कोरोना की जांच के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट बढ़ाने के साथ ही चारों मेडिकल कॉलेजों में जीनोम सीक्वेंसिंग लैब की स्थापना की जा चुकी हैं।
बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सभी राज्यों को निर्देश दिए कि कोविड टीकाकरण, आरटीपीसीआर जांच बढ़ाने के साथ संक्रमित सैंपलों की अनिवार्य रूप से जीनोम सीक्वेंसिंग की जाए। सभी राज्य अपनी तैयारियों को परखने के लिए 27 दिसंबर को अस्पतालों में मॉक ड्रिल करें। जिससे संक्रमण की रोकथाम के लिए पर्याप्त संसाधनों, कर्मचारियों, प्रबंधन का अनुमान लगाया जा सके। इसकी रिपोर्ट सभी राज्यों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को देनी होगी।
कोरोना की तीसरी लहर के लिए सरकार ने चिकित्सा उपकरणों का इंतजाम किया था। वर्तमान में राज्य में कुल 22428 ऑक्सीजन सिलिंडर, 9743 आक्सीजन कॅन्सेनट्रेटर, 86 ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट चालू हालत में। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में 762 आईसीयू बेड, 8189 ऑक्सीजन सपोर्ट बेड, 1032 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। 11 सरकारी पैथोलॉजी लैब में प्रतिदिन लगभग 15 हजार आरटीपीसीआर जांच की सुविधा उपलब्ध है।