विकासखंड मोरी में गोविंद वन्य जीव विहार क्षेत्र के कई गांवों में अक्सर आग की घटनाएं होती है। ऐसे में गांवों में संचार, पानी और सड़क सुविधा नहीं होने के कारण कई परिवार आग में मकान जलने के बाद बेघर हो जाते हैं।
संचार सुविधा नहीं होने के कारण ग्रामीण घटना की सूचना तक प्रशासन को समय पर नहीं दे पाते हैं। इतना ही नहीं सड़क व पानी नहीं होने से उन्हें आग बुझाने में खासी मशक्कत उठानी पड़ती है।
ऐसे में देवदार की लकड़ी से बने मकान यहां आग में बारूद का काम करते हैं। क्षेत्र के अधिकांश गांव सड़क से नहीं जुड़े हैं जिससे अग्निशमन वाहन भी गांव तक नहीं पहुंच पाते हैं।
मोरी विकासखंड का करीब 60 फीसदी हिस्सा नेटवर्क विहीन है। ऐसे में आगजनी की घटना होने पर तुरंत सूचना भी नहीं पहुंच पाती। ऐसे क्षेत्रों में प्रशासन ने ग्राम पंचायतों में सेटेलाइट फोन दिए हैं। दिसंबर 2006 में ढाटमीर गांव में 120 मकान आग की भेंट चढे़ थे।
अग्निकांड में एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी। वर्ष 2007 में ओसला गांव में 53 मकान आग की भेंट चढ़े थे। वर्ष 2010 में सिदरी गांव में 40 मकान व दो लोगों की मौत हुई थी। वर्ष 2013 में सुनकुंडी में 22 व 2018 में सांवणी में 30 मकान जले थे।