उत्तराखंड

प्रदेश में बिजली सस्ती और कटौती मुक्त, कांग्रेस की तुलना मे विद्युत वृद्धि दर कम

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शुक्रवार को भाजपा ने कहा कि उत्तराखंड मे अन्य गैर भाजपा शासित राज्य राजस्थान, विहार , छत्तीसगढ़ आदि की तुलना मे विधुत मूल्य कम है और आंकड़े गवाह हैं कि भाजपा सरकार मे ही लोगों को कम मूल्य पर बिना कटौती की बिजली उपलब्ध होती रही है। भाजपा सरकार मे आम जन सहित सभी क्षेत्रों का ध्यान रखते हुए प्रतिवर्ष मूल्य वृद्धि का प्रतिशत कांग्रेस के कार्यकाल की अपेक्षा काफी कम है।

नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस यशपाल आर्य के बिजली मूल्य के बारे मे दिये बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि भाजपा की कथनी और करनी मे कोई अंतर नही है और पार्टी जन अपेक्षाओं पर शत प्रतिशत खरी उतरती रही है।

उन्होंने कहा कि विद्युत भी एक आपदा का स्वरूप ले चुकी है और कभी ग्लैशियर पिघलने की घटनाएं, कभी कम वर्षा या कम हिमपात से उत्पादन पर इसका असर सीधे तौर पर पड़ता है। इसके अलावा इस वर्ष अर्न्तराष्ट्रीय कारणों से गैस के दामों में हुई अप्रत्याशित वृद्धि के साथ- साथ कोयला संकट के कारण राष्ट्रीय स्तर पर विद्युत के मूल्यों में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई। पावर एक्सचेंजों में प्रति यूनिट विद्युत मूल्य रू 20 प्रति यूनिट तक दर्ज किया गया जिसे केन्द्र सरकार ने हस्तक्षेप कर अधिकतम रू० 12 प्रति यूनिट पर नियत किया जो वर्तमान तक लागू है।

माह अप्रैल 2023 में राज्य में विद्युत की एक दिन की औसत मांग लगभग 43.70 मिलियन यूनिट है जिसके सापेक्ष राज्य में विद्युत की औसतन उपलब्धता 37 मिलियन यूनिट है। शेष विद्युत का क्रय पावर एक्सचेंजों के माध्यम से दैनिक आधार पर किया जा रहा है। राज्य के प्रयासों से केन्द्र द्वारा आबंटित अतिरिक्त कोटा 06 मिलियन यूनिट मुहैया करायी जा रही है।

सुचारू बिजली की उपलब्धता के लिये पावर एक्सचेंजों के माध्यम से मांग के सापेक्ष औसतन 97 प्रतिशत से अधिक की उपलब्धता लगातार सुनिश्चित हो रही है एवं विद्युत की उपलब्धता 100 प्रतिशत करने के समुचित प्रसास लगातार किये जा रहे है।
मंहगी बिजली दर को कम करने के लिये मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयास से उत्तराखण्ड राज्य को माह अप्रैल एवं मई, 2023 हेतु 332:50 मेगावाट, माह जून, जुलाई, अगस्त व सितम्बर, 2023 हेतु क्रमश: 317.40 मेगावाट, 276 मेगावाट, 207 मेगावाट तथा 165.60 मेगावाट अतिरिक्त विद्युत का कोटा उपलब्ध कराया गया है।

विद्युत की मांग एवं उपलब्धता के अंतर को कम किये जाने तथा मंहगी बिजली की दर को कम किये जाने के उददेशय से 300 मेगावाट की मध्यम अवधि की (अर्थात मार्च, 2027 तक) निविदा आमंत्रित की गई है।

उन्होंने विद्युत कटौती को लेकर किये जा रहे दावे को भ्रामक और तथ्य से परे बताया। चौहान ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों के वावजूद माह अप्रैल 2023 में प्रतिदिन अब तक 9 पर्वतीय जिले विद्युत कटौती से अछूते हैं। विरल प्रकृति के उद्योग और अविरल प्रकृति के उद्योग कटौती मुक्त है।

देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, नैनीताल, हल्द्वानी शहर मे विद्युत कटौती शून्य है तो काशीपुर, ज्वालापुर रुड़की, हल्द्वानी, रूद्रपुर शहर मे महज 17 मिनट की कटौती हुई। वहीं गढ़वाल एंव कुमाऊँ के कस्बे (छोटे शहर) मे 27 मिनट, गढ़वाल एंव कुमाऊँ के ग्रामीण क्षेत्र मे 1 घण्टे 18 मिनट तथा स्टील फर्नेस मे यह औसत 3 घण्टे 30 मिनट है। उन्होंने कहा कि यह भी सुखद संयोग है कि उत्तराखंड के साथ ही मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित प्रदेशों मे बिजली सस्ती है।

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