उत्तराखंड

अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने वनंतरा प्रकरण में आरोपित सौरभ भास्कर की जमानत को किया खारिच

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अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने वनंतरा प्रकरण में आरोपित सौरभ भास्कर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। बुधवार को दोनों पक्षों के तथ्य सुनने के बाद न्यायालय ने जमानत याचिका खारिज की। बताते चलें कि बीती 23 जनवरी को वनंतरा प्रकरण में गिरफ्तार पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर व अंकित गुप्ता की जमानत याचिका पर न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) की अदालत में सुनाई हुई। सुनवाई के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया। जमानत याचिका खारिज होने के बाद मामला अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में पहुंच गया।

इसके बाद सौरभ भास्कर की ओर से अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में जमानत याचिका प्रस्तुत की गई। जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता अमित सजवाण का कहना था कि सौरभ को झूठे व गलत तथ्यों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। उनका तर्क था कि सौरभ एक कर्मचारी के तौर पर रिसोर्ट में कार्य करता था। उसकी मृतका से न तो कोई रंजिश थी और न ही मृतका को उसने किसी प्रकार कभी प्रताड़ित किया। कहा गया कि सौरभ का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। साथ ही वह हरिद्वार का स्थाई निवासी है। ऐसे में जमानत के बाद उसके भागने का भी कोई अंदेशा नहीं है।

सहायक शासकीय अधिवक्ता जीतेंद्र रावत ने बताया कि उनकी ओर से न्यायालय के समक्ष केस डायरी व अन्य प्रपत्रों को प्रस्तुत किया गया। जिसमें बताया गया कि मृतका वनंतरा रिसोर्ट में रिसेप्शनिस्ट का कार्य करती थी। मृतका को अंतिम बार सौरभ भास्कर व अन्य सह अभियुक्तों के साथ रिसोर्ट से बाहर जाते देखा गया। लेकिन, रिसोर्ट में वापसी के कोई संपुष्ट साक्ष्य नहीं मिले। यह भी स्पष्ट हुआ कि अंतिम बार मृतका ने अपने मित्र से हुई बातचीत में अभियुक्तों से असुरक्षित होने की बात कही।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मृतका के शरीर में आई चोटों को मृत्यु पूर्व की चोट बताया गया। साथ ही धक्का-मुक्की की स्थिति में चोट लगाने की बात कही गई। यह भी बताया कि गया आरोपित सौरभ ने अन्य सह अभियुक्तों के साथ मृतका का यौन उत्पीड़न करने व मृतका को अनैतिक सेवाएं देने के लिए बाध्य किया गया। अधिवक्ता जीतेंद्र रावत ने बताया कि तमाम पत्रावलियों का अध्ययन करने के बाद जिला सत्र न्यायाधीश प्रतिभा तिवारी ने सौरभ भास्कर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

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