प्रदेश की 93 प्रतिशत ग्राम पंचायतें अपना बजट तैयार नहीं कर पा रही हैं। कैग रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।सदन पटल पर रखी गई पंचायतों की कैग रिपोर्ट में मिला कि वर्ष 2017-19 में पंचायतों की ओर से बिल, भंडार, अग्रिम, अचल संपत्ति पंजिका, मस्टरोल, चेक निर्गत पंजिका का रखरखाव नहीं किया जा रहा है।
बता दें कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ग्राम बदलाव योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार किसी भी पंचायत में 2000 तक का नकद भुगतान सिर्फ सामग्री खरीदने और मजदूरी भुगतान की अनुमति है।प्रदेश के 13 जिला पंचायतों में केंद्रीयकृत और गैर केंद्रीयकृत संवर्ग के 608 स्वीकृत पदों में से 288 पद खाली पड़े हैं। इसके अलावा पंचायतीराज संस्थाओं में 1306 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 970 कार्यरत हैं और 336 पद खाली हैं।
तो प्रदेश में 100 में से औसतन 93 पंचायतों के पास कमाई और खर्च का कोई हिसाब नहीं है। योजनाओं की बैंकों जमा धनराशि पर जो ब्याज बना है, उसे पंचायतों ने अपने पास दबा दिया।पंचायती राज संस्थाओं व शहरी स्थानीय निकायों पर वार्षिक तकनीकी निरीक्षण प्रतिवेदन के मुताबिक वर्ष 2017-19 के दौरान 176 ग्राम पंचायतों में से 164 ने बिल, भंडार, अग्रिम, अचल संपत्ति पंजिका, मस्टरोल, चेक पंजिका का रखरखाव नहीं किया। इस कारण इन 93 प्रतिशत ग्राम पंचायतों के ऑडिट में उनका वित्तीय लेन-देन स्पष्ट नहीं हो रहा है।
प्रदेश के 13 जिला पंचायतों में केंद्रीयकृत और गैर केंद्रीयकृत संवर्ग के 608 स्वीकृत पदों में से 288 पद खाली पड़े हैं। इसके अलावा पंचायतीराज संस्थाओं में 1306 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 970 कार्यरत हैं और 336 पद खाली हैं।