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श्याम स्मृति वन में पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधकर लिया पर्यावरण बचाने का संकल्प। संस्कृत महाविद्यालय में 105 छात्रों का किया सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार।।

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श्याम स्मृति वन में पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधकर लिया पर्यावरण बचाने का संकल्प।।

उत्तरकाशी। देश दुनिया में भले ही भाई बहन के अटूट बंधन रक्षाबंधन का त्योहार की धूम है लेकिन उत्तरकाशी में श्याम स्मृति वन में वृक्षारोपण और रक्षा सूत्र बांधकर पर्यावरण का संकल्प लिया है।

सोमवार को उत्तरकाशी हिमालय प्लांट बैंक श्याम स्मृति वन रक्षाबंधन के सुअवसर पर विल्व पत्र का रोपण कर रक्षासूत्र कार्यक्रम मनाया गया। इस अवसर मुख्य शिक्षा अधिकारी उत्तरकाशी अमित कोटियाल एवं प्रमुख अधीक्षक जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी डॉ. प्रेम श्याम स्मृति वन पर्यावरण एवं जनकल्याण समिति के अध्यक्ष पर्यावरण प्रेमी प्रताप सिंह पोखरियाल आदि ने यहां पर बिल्वपत्र के रोपण सहित पूर्व में लगाये गये पौधों पर रक्षासूत्र बांध कर उनकी सुरक्षा का संकल्प लिया है।इस मौके पर प्रधानाचार्य जीआईसी धौंतरी शान्ति प्रसाद नौटियाल एवं जीआईसी फोल्ड धनारी श्री प्रदीप कोठारी तथा इंस्पायर अवार्ड समन्वयक डा. राजेश जोशी,पंडित रविन्द्र नौटियाल, मास्क लेडी श्रीमती रमा डोभाल, शिक्षिका श्रीमती जमुना पोखरियाल, कार्यक्रम के संयोजक डॉ. शम्भू प्रसाद नौटियाल आदि उपस्थित रहे है।

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संस्कृत महाविद्यालय में 105 छात्रों का किया सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार।।उत्तरकाशी संस्कृत सप्ताह के उपलक्ष में ऋषिकुमारों ने निकाली शोभायात्रा।।

उत्तरकाशी। श्रावण पूर्णिमा एवं रक्षाबंधन तथा संस्कृत सप्ताह के उपलक्ष में श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय में 107 ऋषि कुमारों को यज्ञोपवीत संस्कार किया गया।
इसके बाद उन्होंने ऋषिकुमारों को जनेऊ के नियम और उपाय बताए गए।श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य जगदीश उनियाल ने बताया कि इस वर्ष 105 ऋषिकुमारों को यज्ञोपवीत संस्कार किया गया है इस में 65 महाविद्यालय ओर 40 छात्र अन्य स्कूलों के थे।
सोमवार को रक्षाबंधन के पवन पर्व पर उत्तरकाशी के श्री विश्वनाथ स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय में आचार्यों के संरक्षण में ऋषिकुमारों का सामुहिक यज्ञोपवीत संस्कार कराया गया। इस दौरान हवन- यज्ञ आदि धार्मिक अनुष्ठान के बाद मंत्र उच्चारण के साथ जनेऊ संस्कार किया गया है।
बाद में ऋषिकुमारों की शोभायात्रा संस्कृत महाविद्यालय से भैरव चौक, विश्वनाथ मंदिर, मुख्य बाजार, बस अड्डा होते हुए संस्कृत महाविद्यालय में लौटे हैं।

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