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उत्तरकाशी: वरुणावत पर कितना बड़ा भूस्खलन हो सकता है, सर्वेक्षण टीम ने दी अपनी रिपोर्ट = भारी वर्षा एवं पहाड़ी के खुले जोड़ों में जलभराव के कारण छिद्र दबाव में वृद्धि होने और चट्टानों के संधियुक्त व खंडित अवस्था में होने को भूस्खलन का मुख्य कारण है

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उत्तरकाशी, 28 अगस्त 2024

जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट के निर्देश पर गठित तकनीकी समिति ने जिला मुख्यालय उत्तरकाशी में वरूणावत पर्वत के पूर्वी दिशा में अवस्थित गोफियारा के ऊपर हुए गत रात्रि हुए भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण करने के बाद अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है।

जिलाधिकारी ने कहा है कि इस रिपोर्ट को शासन को भेजने के साथ ही विशेषज्ञों से राय भी ली जाएगी और तद्नुसार प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा तथा उपचार हेतु तत्कालिक एवं दीर्घकालीन उपाय सुनिश्चित कराने की कार्रवाई की जाएगी।

जिलाधिकारी ने कहा है कि तकनीकी समिति की रिपोर्ट में इस क्षेत्र में भूस्खलन को फैलने से रोकने के उपाय सुनिश्चित किए जाने सहित कुछ संस्तुतियां की गई हैं और फिलहाल इस क्षेत्र में कोई किसी बड़े खतरे की संभावना व्यक्त नहीं की गई है। लेकिन किसी भी प्रकार के संभावित खतरों के दृष्टिगत प्रशासन के द्वारा जान-माल की सुरक्षा के लिए सभी एहतियाती उपाय सुनिश्चित किए जाएंगे।

प्रशासन के द्वारा प्रभावित क्षेत्र की निरंतर निगरानी की जा रही है और क्षेत्र में अभी स्थिति सामान्य बनी हुई है। जिलाधिकारी ने प्रभावित क्षेत्र के सभी लोगों को सतर्क रहने की अपील करते हुए कहा है कि प्रशासन नागरिकों की सुरक्षा व सहायता के लिए सदैव तत्पर है लिहाजा अफवाहों पर ध्यान न देकर किसी भी आकस्मिकता की स्थिति में सूचना व सहायता हेतु नियंत्रण कक्ष से दूरभाष नंबर 01374-222722 टोलफ्री नंबर 1077 एचं मोबाईल नंबर 7500337269 पर संपर्क किया जा सकता है।

जिलाधिकारी को सौंपी गई रिपोर्ट में तकनीकी समिति ने सुझाव दिए हैं कि भूस्खलन क्षेत्र के डाउन हिल में अवस्थित आबादी क्षेत्र में संवेदनशील क्षेत्र का चिन्हांकंन करते हुये निरन्तर सर्तकता बरती जाय और ढालदार भूस्खलन क्षेत्र में तीन स्थलों पर एकत्रित मलवे के नीचे की तरफ बढने सेे रोकथाम हेतु उपाय किये जांय। रिपोर्ट में भूस्खलन क्षेत्र के विस्तारीकरण को रोकने हेतु उपाय किये जाने के साथ ही इस क्षेत्र की भारतीय भूसर्वेक्षण संस्थान से विस्तृत भूवैज्ञानिक जॉच कराए जाने की संस्तुति भी की गई है।

तकनीकी समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि गत रात्रि हुए उक्त भूस्खलन का क्राउन 30°44′02″छ 78°26′37″म् के मध्य औसत समुद्र तल से लगभग लगभग 1470 मीटर ऊंचाई पर विद्यमान है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि क्षेत्र में संधियुक्त क्वार्टजाइट एवं फिलाईट चट्टानें मौजूद है। इनकी संधियों के तीन सेट विद्यमान है तथा सन्धि क्षेत्र के समान्य ढाल के अनुरूप होना ही भूस्खलन की घटना का कारण बना है। इस क्षेत्र में विद्यमान क्वार्टजाइट चट्टाने स्वभावतः कठोर प्रवृत्ति की होती है इस कारण अधिक मात्रा में मलवे के उत्सर्जन की आशंका कम है किन्तु भूस्खलन क्षेत्र के सामान्य ढाल की तीव्रता अधिक होने के कारण एवं भूस्खलन क्षेत्र के ठीक नीचे डाऊन हिल में सघन आबादी क्षेत्र एवं राष्ट्रीय राजमार्ग अवस्थित होने के कारण दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहेगी। भूस्खलन क्षेत्र में तीव्र ढालदार क्षेत्र के अन्तर्गत न्यूनतम तीन स्थानों पर भूस्खलन जनित मलवा तथा विभिन्न आकार के चट्टानी टुकडे़ गिरे पाए गए हैं, जो कभी भी सक्रिय होकर आगे बढ सकते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि भूस्खलन क्षेत्र के क्राउन क्षेत्र के ऊपर उत्तर-दक्षिण दिशा में लगभग 20 डिग्री का ढालदार लगभग 40 से 50 मीटर चौडा क्षेत्र विद्यमान है, जिसने ब्रेक इन स्लोप का कार्य किया है। इस क्षेत्र के उपरान्त पुनः पहाडी की अपहिल दिशा में तीव्र ढालदार क्षेत्र विद्यमान है। समिति ने क्राउन क्षेत्र के उपर अन्य कोई दरार नही पायी है।

दिनांक 27 अगस्त 2024 को प्रातः 8 बजे से अगले चौबीस घंटों के अंदर उत्तरकाशी नगर में 122 मिली मीटर वर्षा मापित की गयी है तथा अगस्त 2024 माह में ही 28 अगस्त तक 703 मिमी वर्षा हुई है, जो सामान्य से अधिक है। जिसे मध्येनजर तकनीकी समिति ने अत्यधिक वर्षा एवं पहाड़ी के खुले जोड़ों में जलभराव के कारण छिद्र दबाव में वृद्धि होने और क्षेत्र की चट्टानों के संधियुक्त व खंडित अवस्था में होने को भूस्खलन का मुख्य कारण माना है।

प्रभावित क्षेत्र के तकनकी सर्वेक्षण के दौरान उप जिलाधिकारी भटवाड़ी बृजेश कुमार तिवारी, संयुक्त निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग जीडी प्रसाद, अधिशासी अभियंता लोनिवि रजनीश सैनी, अधिशासी अभियंता सिंचाई केएस चौहान, उप प्रभागीय वनाधिकारी मयंक गर्ग, तहसीलदार भटवाडी सुरेश सेमवाल सहित अन्य सदस्य शामिल रहे।

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