राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके खिलाड़ियों ने राज्य खेल पुरस्कारों पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रपति के हाथों उन्हें सर्वोच्च अर्जुन पुरस्कार मिला पर, राज्य खेल पुरस्कारों में उनकी लगातार अनदेखी हुई है।
अंतरराष्ट्रीय नौकायन खिलाड़ी रहे पिथौरागढ़ जिले के पाण्डे गांव निवासी सुरेंद्र सिंह वल्दिया और चमोली जिले के कोलसो गांव निवासी सुरेंद्र सिंह कनवासी के मुताबिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया। इस प्रदर्शन की बदौलत उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिला, लेकिन राज्य खेल पुरस्कार न मिलने से उन्हें निराश होना पड़ा है।
वल्दिया बताते हैं कि राज्य खेल पुरस्कारों के लिए वह लगातार आवेदन करते आ रहे हैं, इसके बाद भी उनका सूची में नाम नही हैं। नौकायन के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रहे सुरेंद्र सिंह कनवासी बताते हैं कि राज्य खेल पुरस्कारों में यह नहीं देखा जा रहा है कि उत्तराखंड के लिए किसने क्या किया। हालांकि राज्य खेल पुरस्कार के लिए विभाग की ओर से मानक बनाया गया है, जिसमें ओलंपिक, एशियार्ड वाले को प्राथमिकता दी जाती है।
पुरस्कार के लिए ऐसे व्यक्ति को वरियता दी जा रही है जिसने एशियन भी नहीं खेला। हम दोनों अर्जुन अवार्डी कई बार राज्य खेल पुरस्कार के लिए आवेदन कर चुके हैं, लेकिन राज्य खेल पुरस्कार के लिए उनका नाम नहीं आया। कनवासी बताते हैं कि हर बार नाम न आने से वह थक चुके हैं, यहीं वजह है कि उन्होंने बाद में आवेदन करना भी छोड़ दिया।
पिथौरागढ़ के सुरेंद्र सिंह वल्दिया रोइंग में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सात और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 12 पदक जीत चुके हैं। खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते 1996 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। वल्दिया ने वर्ष 2021 में राज्य पुरस्कार के लिए आवेदन किया, लेकिन उन्हें कोई पुरस्कार नहीं मिला। वे बताते हैं इससे पहले भी कई बार आवेदन कर चुके हैं।
चमोली जिले के सुरेंद्र सिंह कनवासी को वर्ष 2001 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। रोइंग में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पांच, तीन रजत और दो कांस्य पदक जीत चुके हैं। कनवासी बताते हैं, राज्य खेल पुरस्कार के लिए कई बार आवेदन किया, लेकिन पुरस्कार नहीं मिला तो आवेदन करना ही छोड़ दिया।
राज्य खेल पुरस्कार देने में पूरी पारदर्शिता बरती गई है। अंकों के हिसाब से पुरस्कार दिए गए हैं, इसमें कोई फेरबदल नहीं कर सकता है। सबसे अधिक अंक जिसे मिले उसे राज्य पुरस्कार दिया गया है। हो सकता है इन लोगों ने पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं किया होगा, मामले को दिखवाया जाएगा।