जनपद में शारदीय नवरात्र में माँ के दर्शन करने के लिए माँ के दरवार में भक्ति पहुँच रहे हैं । अष्टमी के मौके पर माँ रेणुका माता सिद्ध पीठ में महा गौरी की पूजा की जाती हैं । और अष्टमी दुर्गा की विशेष पूजा की जाती हैं ।स्कन्दपुराण के केदार खण्ड में इस पर्वत का उल्लेख किया गया ।
अब हम आपको माँ रेणुका पर्वत की कुछ विशेषताओं के बारे बताते हैं । उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय से पीछे 15 किलोमीटर गंगोत्री नेशनल हाइवे नाकुरी नामक स्थान से लिंक मार्ग 4 किलोमीटर गाड़ी का सफर गढ़ तक पहुँचा जाता हैं । उसके बाद रेणुका पर्वत की 2 किलोमीटर चढ़ाई की जाती हैं । इस जगह पर पहुँचने से जनपद मुख्यालय सहित क्षेत्रों चारोंतरफ एक से अधिकांश गाँव साफ साफ नजर आते हैं ।ठीक सामने बरसाली आदि गाँव नजर आते हैं
बीच में माँ रेणुका पर्वत विराजमान हैं । पर्वत पर माँ रेणुका ,माता महिषासुर मर्दिनि , भैरव नाथ विराजमान हैं । क्षेत्र के लोगों की माता के प्रति बड़ी आस्था होती हैं । माता के नाम से सारे क्षेत्र किये जाते हैं । यह स्थान गुप्त हैं जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आता हैं उसकी मनोकामना पूरी हो जाती हैं । नवरात्र में 18 गाँवों के लोग जो धन कर होता था । नया अन्न लेकर आते हैं उसको माता चढ़ाते हैं । उसके बाद उस अन्न का भोग बना कर भक्तों दिया जाता हैं ।