बैसाखी मेला पौराणिक संस्कृति बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस बैसाखी मेले में ग्रामीण बढ़ चटकार हिस्सा लेते है। जिसमे अपने स्थानीय देवी देवताओं को पूरी,चौलाई,अख़रोट से बना भोग जिसे “धाणा, बुकाणा”आदि भोग चढ़ाया जाता है । ग्रामीण क्षेत्रों के लोग देव डोली की पूजा रचना कर फूल आदि भोग अर्पित कर देवी देवताओं को चढ़ाया जाता है ।
ग्रामीण बड़े उत्साह के साथ देव डोली के साथ रांसू नित्य कर एक दूसरे के हंसी से खेलते है । यहां प्रथम पौराणिक रूप से चली आ रही है
ब्लाक प्रमुख विनीता रावत ने अपनी ग्राम सभा बारसू में बैसाखी पर्व के अंतिम दिवस के शुभ अवसर पर मनाए जाने वाले बैसाखी मेले में देवी देवताओं का आशीर्वाद लिया और अपने क्षेत्र और देशवासियों के सुख समृद्धि की कामना की !
विनीता रावत ने कहा कि बैसाखी मेला हमारी पौराणिक संस्कृति है जिसमे अपने स्थानीय देवी देवताओं को पूरी,चौलाई,अख़रोट से बना भोग जिसे “धाणा, बुकाणा” कहा जाता है , उसे अर्पित कर देवी देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है
उन्होंने कहा कि बैसाखी,खेती के मौसम के आरम्भ को भी दर्शाता है और अन्नदाताओं को उनके मेहनत का सम्मान देता है। इस अवसर पर, हम सभी को आपसी सौहार्द और भाईचारे की भावना को और मजबूत करने का संकल्प लेना चाहिए।