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जिले भर में हरेला पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया गया है। मुख्य विकास अधिकारी जय किशन के नेतृत्व में विभिन्न विभागों ने एन आई एम के क्षेत्र में वैदिक मंत्र उच्चारण पूजा-अर्चना कर पारिजात का पौधा रोपित किया है।

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प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन का पर्व है हरेला: जय किशन।।

उत्तरकाशी 16 जुलाई। जिले भर में हरेला पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया गया है। मंगलवार को मुख्य विकास अधिकारी जय किशन के नेतृत्व में विभिन्न विभागों ने एन आई एम के क्षेत्र में वैदिक मंत्र उच्चारण पूजा-अर्चना कर पारिजात का पौधा रोपित किया है।


हरेला पर्व के ग्राम्य विकास, पुलिस, वन, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, युवा कल्याण सहित जनप्रतिनिधियों द्वारा बड़ी संख्या में विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण किया है।
तत्पश्चात उन्होंने अपने आवास के नजदीकी स्थान पर एक पेड़ मां के नाम अपनी माता जी व धर्मपत्नी के साथ रोपित कर पर्यावरण संरक्षण को संरक्षित रखने का संन्देश दिया है।


हरेला पर्व के अवसर पर पर्यावरण की रखवाली घर -घर हरियाली लाए समृद्धि और खुशहाली थीम पर जनपद में मुखेम रेंज अंतर्गत जिला मुख्यालय के ग्राम पंचायत डांग गांव में हरेला पर्व वृक्षारोपण कर मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी जयकिशन , जिला विधिक सेवा प्राधिकरण स्वेता राणा चौहान,अपर जिलाधिकारी रज़ा अब्बास, डीएफओ डीपी बलूनी, उप जिलाधिकारी भटवाड़ी वृजेश कुमार तिवारी, गंगोत्री नेशनल पार्क के उपनिदेश रंगनाथ पांडेय,सीओ आईटीबीपी सचिन कुमार, एनडीआरएफ इंस्पेक्टर तिरेपन सिंह रावत , मुख्य कोषाधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.प्रेम पोखरियाल, मुख्य चिकित्साधिकारी बीएस रावत, परियोजना निदेशक रमेश चंद्र सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों, आम नागरिकों के द्वारा वृक्षारोपण किया गया।

जिले भर में हरेला पर्व बड़े उत्साह पूर्वक मनाया गया है। इस में सरकारी विभागों के आला अधिकारियों सहित विभिन्न स्कूलों कॉलेज में छात्र – छात्रों ने वृक्षारोपण किया है।
‌ चिन्यालीसौड़ में मंगलवार को पालिका क्षेत्र से लेकर ग्रामीण अंचल तक प्रकृति के श्रृंगार में चार चांद लगाने के लिए हरेला पर्व पर पौधारोपण अभियान की शुरुआत की गई। वन विभाग, नगर पालिका, शिक्षण संस्थान,सहित विभिन्न संगठनों, संस्थानों ने इस पर्व पर 300 से अधिक पौधों का पौधरोपण किया। इस मौके पर हरेला पूजा भी की गई। इससे पूर्व वन विभाग द्वारा जन जागरूकता को लेकर एक बैठक भी की गई।
उधर वन विभाग धरासू, नगर पालिका , राजकीय महाविद्यालय , बिरजा इंटर कॉलेज सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज शिशु मंदिर सहित विभिन्न संस्थाओं ने अपने-अपने संस्थानों के अलावा ट्रेचिंग ग्राउंड, वह धरासू गांव में विभिन्न प्रजातियों के 300 से अधिक पौधों का रोपण किया।
इस मौके पर रेंज अधिकारी जगमोहन सिंह गंगाडी शिवालिक नेगी,विक्रम सिंह बिष्ट नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी वीरेंद्र सिंह पंवार, विजय बडोनी, धर्मानंद बिजल्वान, राजेंद्र थपलियाल, कमल चौहान राजपाल परमार डॉक्टर शेर सिंह पवार , वन पंचायत सरपंच, बिरजा इंटर कॉलेज के प्रबंधक शंकर दत्त घिल्डियाल सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे हैं।

वहीं राम चन्द्र उनियाल राककीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी में प्रातः 8 बजे सभी प्राध्यापक, कर्मचारी एवं एन एस एस, एन सी सी तथा रोवर रेंजर के सभी छात्र छात्राएं पुरीखेत प्रांगण में हरेला पर्व मनाने हेतु एकत्रित हुए। पुरीखेत प्रंगण में प्राचार्य प्रो वसंतिका कश्यप ने फलदार वृक्ष लगाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होने कहा कि इस प्रकार के पर्व हमें पर्यावरण बचाने का संदेश देते हैं। साथ ही मानव को धरती पर संतुलन बनाए रखना सिखाते हैं। तत्पश्चात नमामि गंगे के तत्वाधान में नोडल डा एम पी एस परमार, संयोजक डा मधु बहुगुणा ने भी पेड़ लगाकर कार्यक्रम को बढ़ाया। प्रो मधु थपलियाल ने वृक्षों को जीवन का आधार बताते हुए वृक्षारोपण किया। इस दौरान प्रो डी डी पैन्यूली, डा के के बिष्ट , डा रमेश सिंह, डा खंडूरी, डा जयलक्ष्मी रावत सहित समस्त प्रोफेसर ने भी एक पेड़ मां के नाम लगाया। एन सी सी के नोडल डा आकाश चन्द्र मिश्र ने अपने कैडेट्स के साथ वृक्षारोपण किया। एन एस एस के कार्यक्रम आधिकारी डा ऋचा बधानी, डा परदेव सिंह ने भी अपने स्वयंसेवियों के साथ आम एवं कटहल के वृक्ष लगाकर हरेला पर्व मनाया।
श्रीविश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय उत्तरकाशी प्रधानाचार्य जगदीश प्रसाद उनियाल के नेतृत्व में उत्तराखंड का लोक पर्व हरेला वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ के साथ अध्यापकों एवं छात्रों के साथ वृक्षारोपण किया है।
उधर अटल उत्कृष्ट शहीद विपिन शाह राजकीय इण्टर कॉलेज भटवाड़ी, के प्रधानाचार्य बलबीर लाल शाह एवं शिक्षक शूरवीर लाल पुनेटा एवं शिक्षक ने हरेला पर्व पर इको वायोडाइवसिटि पार्क में विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण किया, पौधों में विशेषकर मीठी तुलसी जकरेड़ा, थुनेर, रोडा, दालचीनी, बांज के पेड़ों के साथ माल्टा, नीबू संतरे आदि दौधों का रोपण किया है।

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