उत्तरकाशी 27, अप्रैल । चारधाम यात्रा के लिए दो सप्ताह का समय भी नहीं रहा गंगोत्री -यमुनोत्री हाईवे पर कई स्थानों पर ये मालूम करना कठिन हो रहा कि हाईवे गड्ढे में है कि गड्ढे हाईवे पर है।
गौरतलब है कि चारधाम यात्रा सीजन को लेकर शासन स्तर से उत्तराखंड में लोक सभा चुनाव निपटाने के बाद बैठकों का दौर शुरू हो रहा है। शासन प्रशासन भले दावे करे लेकिन नींद से सिस्टम तब जागता है जब यात्रा के कपाट खुलने का समय आता है।
ये ही वजह रही कि जिले के उत्तरकाशी में दो मुख्य धाम हैं गंगोत्री- यमुनोत्री की हालात खस्ताहाल हैं।
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर नासूर बना डाबरकोट, खनेड़ा या पालीगाड़ हों जानकीचट्टी यह तमाम जोन काफी डेंजर जोन हैं और बीत सालों से यहां मार्ग खस्ताहाल हैं, लेकिन जिला प्रशासन और सरकारें चारधाम यात्रा व्यवस्था को लेकर हवाई दावे करती हैं।
गीठ क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता महावीर पंवार ने बताया कि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर जगह -जगह हाईवे गड्ढे हैं हाईवे की हालात खराब हैं लेकिन कोइ सुध नहीं ले रहा । उन्होंने बताया कि यमुनोत्री धाम जाने वाला पैदल मार्ग जानकीचट्टी से लेकर यमुनोत्री तक खराब हैं और भंडेली गाड़ वाला पैदल मार्ग सबसे खस्ताहाल हैं। महावीर पंवार ने बताया कि सरकार और जिला प्रशासन यमुनोत्री धाम की व्यवस्थाओं को गंभीरता से नहीं लेती है यहां तक कि यमुनोत्री धाम का मुख्य पड़ाव नगरपालिका बड़कोट पेयजल की समस्यायों से जूझ रहा है ।
उधर गंगोत्री हाईवे पर ऋषिकेश से गंगोत्री धाम तक आठ ऐसे डेंजर सपोर्ट है जहां भारी-भारी खतरा है इनमें से दो स्पॉट उत्तरकाशी जिले के अंतर्गत आते हैं जिनमें बंदर कोट और रतूड़ी सेरा शामिल है। यहां पहाड़ से भारी भूस्खलन होता है। चारधाम यात्रा के दौरान बारिश होते ही यहां पत्थर और मिट्टी की बरसात शुरू हो जाती है। गंगोत्री हाईवे का कार्य सीमा सड़क संगठन के पास है उन्होंने डेंजर स्थलों के ट्रीटमेंट के लिए लगभग 54 करोड़ का अनुबंध केसीसी कंपनी के साथ कर रखा है । लेकिन केसीसी कंपनी की सुस्त चाल से कार्य अभी शुरू ही हो रहा है।