उत्तराखंड में नई राजस्व संहिता लागू होगी।राजस्व परिषद ने इसका ड्राफ्ट तैयार कर शासन को सौंप है। अब मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित विधि समिति की बैठक में इस पर विचार किया जाएगा। इसके बाद इसे कैबिनेट को भेज दिया जाएगा। तो प्रदेश में वर्तमान में उत्तराखंड 1950 से भू राजस्व अधिनियम लागू हैं। इसके अलावा कुछ अन्य अधिनियम भी प्रचलन में हैं। तो यह सभी अधिनियम उत्तर प्रदेश से लिए गए थे। अब राज्य की परिस्थितियों के हिसाब से नया एक्ट बनाए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। तो इस पर पिछले दो साल से काम चल रहा था। राजस्व परिषद की ओर से पूरा ड्राफ्ट तैयार कर शासन को सौंप दिया गया है। जिस पर विधि समिति की ओर से निर्णय लिया जाएगा।
राजस्व परिषद की ओर से तैयार किए गए रेवेन्यु कोड पर चर्चा के लिए विधि समिति की बैठक इससे पहले दो बार स्थगित हो चुकी है। तो पहले यह बैठक पांच सितंबर को बुलाई गई थी। लेकिन किन्हीं कारणों से बैठक नहीं हो पाई। इसके बाद 14 और 15 सितंबर को लगातार दो दिन बैठक होनी थी, लेकिन समिति के कुछ सदस्यों की अनुपस्थिति के कारण एक बार फिर बैठक स्थगित हो गई। अब यह बैठक 22 सितंबर को होनी है। सचिव राजस्व परिषद ने इसकी पुष्टि की है। तो मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली विधि समिति की बैठक में प्रमुख सचिव न्याय एवं विधि, सदस्य राजस्व परिषद, सचिव राजस्व विभाग, सचिव वित्त, महाधिवक्ता उत्तराखंड शासन, आयुक्त गढ़वाल एवं कुमाऊं, नामित सदस्य अरुण कुमार सक्सेना और सुबोध कुमार शर्मा मौजूद रहेंगे।
समिति की ओर से ड्राफ्ट पर विचार करने के बाद इसे कैबिनेट में रखा जाएगा। कैबिनेट से पास होने के बाद यह विधानसभा में जाएगा। जहां से पास होने के बाद यह कानून की शक्ल ले लेगा।