उत्तराखंड

जिलाधिकारी सोनिका ने उत्तराखंड के 9 गांवों के जलमग्न होने की संभावनाओं को नकार दिया

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किसाऊ बांध परियोजना से भविष्य में उत्तराखंड के 9 गांवों के जलमग्न होने की संभावनाओं को जिलाधिकारी सोनिका ने नकार दिया है। उन्होंने किसाऊ कारपोरेशन और बांध प्रभावित क्षेत्र के प्रतिनिधियों से वार्ता में कहा कि अभी मैलोथ क्वानू, मंझगांव क्वानू, कोटा क्वानू में सर्वे कार्य चल रहा है। उन्होंने अफसरों को प्राथमिक सर्वे पूरा कराने के निर्देश दिए।

अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने कहा कि सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से लगाए गए पिलर्स से नाप-जोख चल रही है। प्राथमिक सर्वे का कार्य अभी चल रहा है। भ्रामक सूचनाओं का कोई आधार नहीं है। ग्रामीण बेखौफ रहें, उनकी सुरक्षा सर्वोपरि है। उधर, किसाऊ बांध संघर्ष समिति मांग कर रही है कि सरकार ऐसा रास्ता निकाले, जिससे उन्हें अपनी जन्मभूमि से विस्थापन न करना पड़े। परियोजना से देहरादून क्षेत्र के नौ गांवों के प्रभावित होने की चर्चा विभिन्न माध्यमों पर तेज है।

जिलाधिकारी सोनिका ने कहा कि ऐसी बातों का कोई आधार नहीं है। जिलाधिकारी ने कहा कि यूजेवीएनल एवं जिला प्रशासन की ओर से जारी बयान पर ही विश्वास किया जाए। यूजेवीएनएल के अधिकारियों ने अवगत कराया कि बोर्ड द्वारा परियोजना के लिए भूमि चिन्हीकरण के दौरान कृषि भूमि को अधिग्रहण से बचाने के यथासम्भव प्रयास किए जा रहे हैं।

डीएम ने निर्देश दिए गए कि सर्वे पूर्ण करने के बाद ग्रामीणों द्वारा सुझाए जा रहे विकल्पों पर गंभीरता से विचार किया जाए। उन्होंने ग्रामीणों के साथ बैठक कर भ्रामक खबरों पर ध्यान न देने के लिए कहा। किसी शंका के लिए जिला प्रशासन एवं सक्षम अधिकारी से संपर्क के लिए कहा गया।

दो पर्वतीय राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल के सीमा क्षेत्र पर टोंस नदी में बहुउद्देशीय किसाऊ बांध परियोजना प्रस्तावित है। परियोजना से 1379 मिलियन यूनिट बिजली का सालाना उत्पादन होगा। 660 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना के निर्माण की जद में उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्र के नौ गांव और हिमाचल के आठ गांव आ रहे हैं।

इस परियोजना से 1379 मिलियन यूनिट बिजली का सालाना उत्पादन होगा। इसके अलावा हरियाणा, दिल्ली, उत्तर-प्रदेश और राजस्थान को सिंचाई एवं पेयजल की आपूर्ति होगी। उत्तराखंड जल विद्युत निगम लि. (यूजेवीएनएल), केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की गाइड लाइन के अनुसार दोबारा सर्वे जारी है। किसाऊ बांध परियोजना में उत्तराखंड और हिमाचल राज्य की बराबर हिस्सेदारी है।

वर्ष 2008 में किसाऊ बांध को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया। 1985 में इसकी पहली डीपीआर बनाई गई थी। वर्ष 2010 में परियोजना की डीपीआर दोबारा से तैयार हुई। परियोजना में उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाके की 1452 हेक्टेयर भूमि प्रभावित होगी। इस बांध की ऊंचाई 868 मीटर प्रस्तावित है। 1324 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता का जलाशय होगा।

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