15वें वित्त आयोग के अनुदान से गांवों और शहरों में होने वाले विकास कार्य ठप हो गए हैं। शासन ने इस पर गहरी चिंता जताई है और शहरी विकास विभाग व पंचायती राज विभाग को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
दोनों महकमों को अनुदान के लिए शहरी स्थानीय निकायों और ग्राम पंचायतों के खाते पीएफएमएस से लिंक करने हैं। 25 प्रतिशत निकायों के पिछले वर्ष के लेखा परीक्षा ऑनलाइन उपलब्ध कराने हैं। इसके अलावा कुछ और शर्तों का पालन भी होना है।
केंद्र सरकार को 15वें वित्त आयोग के तहत पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों में विकास कार्यों के लिए 657 करोड़ रुपये जारी करने हैं। इसमें से 440 करोड़ रुपये केवल पंचायती राज संस्थाओं के लिए हैं।
वित्तीय वर्ष की समाप्ति के मात्र चार माह शेष होने के बावजूद धनराशि जारी नहीं हो पाई। नतीजा इस धनराशि से निकायों, जिला, क्षेत्र व ग्राम पंचायतों में जो विकास कार्य होने थे, वे पूरी तरह से ठप हो गए।
अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्द्धन ने पत्र में लिखा की 15वें वित्त आयोग की धनराशि से कराए जाने वाले कार्य अवरुद्ध हो गए हैं। प्रदेश स्तरीय शर्तों को पूरा करने के लिए विभाग अत्यधिक धीमी गति से कार्रवाई कर रहे हैं, जो कार्यों के प्रति उदासीनता को जाहिर कर रहा है।
स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं के खाते लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली से लिंक होने हैं।
- अनुदान हस्तांतरण प्रमाण संलग्न करने हैं।
- 25 प्रतिशत निकायों के पिछले वर्ष के लेखा परीक्षा (ऑडिट रिपोर्ट) ऑनलाइन उपलब्ध करानी है।
- पिछले वर्ष के लेखा परीक्षा को भी ऑनलाइन देना है।