उत्तरकाशी। डुंडा ब्लॉक के नाकुरी गांव में पांच दिवसीय पांडव नृत्य हवन यज्ञ के साथ संपन्न हो गया है। इस मौके पर ग्रामीणों ने अपने आराध्या ईष्ट नागराज देवता की डोली और पांडव पश्वों से गांव की खुशहाली की कामना की।
बरसाली के नाकुरी गांव में रविवार को पंचायत चौक थाती हवन यज्ञ के साथ पांच दिवसीय पांडव नृत्य संपन्न किया गया। पांच दिनों से चलने वाला पाण्डव नृत्य कराने के पीछे गांव में सुख समृद्धि,गांव के घाटों को किला जाता है । गांव में खुशहाली, अच्छी फसल पांडव नृत्य के माध्यम से पांच पांडवों व द्रोपदी की पूजा अर्चना करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। नाकुरी गांव के पंचायती चौक (थाती )पर पांडव नृत्य का आयोजन किया गया, ग्रामीणों ने बताया कि हर तीन वर्ष गांव की खुशहाली के लिए पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है।पांडव नृत्य करने ,शिवेंद्र भट्ट संग्राली ,विनोद सिंह नेगी बाग्याल गांव ,विजय सिंह नेगी पाटा पांच पांडव पशवा की भूमिका रही वहीं संग्राली गांव के बाजगी मदन ने पांडव नृत्य में ढोल सागर की भूमिका निभाई।
बता दें कि पाण्डव गण अपने अवतरण काल में यहाँ उत्तराखंड में वनवास, अज्ञातवास, शिव जी की खोजबीन में और अन्त में स्वर्गारोहण के समय आये थे।
महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने अपने विध्वंसकारी अस्त्र और शस्त्रों को उत्तराखंड के लोगों को ही सौंप दिया था और उसके बाद वे स्वार्गा रोहिणी के लिए निकल पड़े थे, इसलिए अभी भी गढ़वाल क्षेत्र के अनेक गांवों में उनके अस्त्र- शस्त्रों की पूजा होती है और पाण्डव लीला का आयोजन सदियों से होता आ रहा है।
यही वजह रही कि गढ़वाल क्षेत्र में आज भी हर गांव में पांडव नृत्य संपन्न होता है। यूं तो पांडव नृत्य महाभारत में पांच पांडवों के जीवन से सम्बंधित है। इस मौके पर प्रेम सिंह , शैलेंद्र सिंह, दरव्यान सिंह, कुशाल सिंह, चंद्रपाल सिंह, जयेंद्र पाल सिंह ,आदि युवाओं महिलाओं मौजूद रहे है।