उत्तराखंड में नशीली और नकली दवाओं का व्यापार तेजी से फल-फूल रहा है। इसकी रोकथाम को लेकर राज्य सरकार समय-समय पर कई अहम निर्णय लेती रही है। इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रदेश भर में मौजूद सभी मेडिकल स्टोर का निरीक्षण किया जाएगा।
साथ ही सभी मेडिकल स्टोर पर एक पंजीकृत फार्मासिस्ट की तैनाती का भी सत्यापन अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में नकली और नशीली दवाओं की बिक्री पर लगाम लगाने को लेकर सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है।
प्रदेश भर में फुटकर दवा बिक्री के लिए 12 हजार से अधिक मेडिकल स्टोर पंजीकृत हैं। इनके निरीक्षण के साथ ही वहां तैनात फार्मासिस्टों का भी भौतिक सत्यापन किया जाएगा। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को अप्रैल महीने में विशेष अभियान चलाया जाने के निर्देश दिए हैं।
डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम- 1940 और 1945 की नियमावली के नियम 65(2) के तहत सभी मेडिकल स्टोर का लाइसेंस होने के साथ ही स्टोर पर दवा बिक्री के लिये पंजीकृत फार्मासिस्ट का होना या तैनाती करना अनिवार्य है।
इसी प्रकार थोक दवा विक्रय के लिये भी नियम 64 के तहत अनुभवी व्यक्ति को ही लाइसेंस दिये जाने का प्रावधान है। लिहाजा, इन सभी नियमों का सख्ती से पालन करने के लिये खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को सभी पंजीकृत मेडिकल स्टोरों का मुआयना करने के निर्देश दिये गये हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में प्रदेश में करीब 22,000 फार्मासिस्ट रजिस्टर्ड हैं।
इनमें से करीब साढ़े 12 हजार से अधिक फार्मासिस्टों के नाम पर मेडिकल स्टोर के लाइसेंस जारी किए गए हैं। करीब एक हजार फार्मासिस्ट राजकीय सेवा में तैनात हैं। हालांकि, प्रदेश में समय- समय पर ऐसी शिकायतें भी मिलती रही हैं कि एक लाइसेंस पर एक से अधिक मेडिकल स्टोर संचालित हो रहे हैं और मेडिकल स्टोर पर कोई भी पंजीकृत फार्मासिस्ट तैनात नहीं है।
जोकि सीधे-सीधे नियमों का उल्लंघन है। लिहाजा इन्हीं तमाम तथ्यों को ध्यान में रखते हुए विभागीय अधिकारियों को प्रदेश के सभी मेडिकल स्टोर का भौतिक सत्यापन करने के निर्देश दिए गए हैं। जिससे सूबे के बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्टों को मेडिकल स्टोरों पर रोजगार मिल सके।